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हिन्दू वैदिक विचारधारा का विस्तार

भारतीय विचारधारा पर हिंदू विचारधारा का गहरा प्रभाव रहा है और हिंदू विचारधारा पर वेद का। वैदिक विचार कम से कम 4000 साल पुराना है।  वैदिक विचारधारा मन के विस्तार को बहुत महत्व देती थी। इससे हम अनंत को समझ सकते थे। इस हेतु से एक विस्तृत ढांचा स्थापित किया गया। इसकी मदद से भारतवासियों को भारतीय-यूनानी सिपाहियों, चीनी तीर्थयात्रियों, अरबी व्यापारियों, मुग़ल और अन्य मध्य एशियाई सरदारों और यूरोपीय उपनिवेशीय शक्तियों के साथ आए विचारों को जगह देने में आसानी हुई। वेदों के सबसे प्राचीन भाग ऋग संहिता में सिर्फ़ मंत्रों का जप होता था। ऋग्वेद के सबसे पुराने मंत्र सन् 6000 ईसा पूर्व में रचे गए। लेकिन ज़्यादातर मंत्र सन् 2000 ईसा पूर्व के बाद रचे गए। उनमें इंडस नदी की समानांतर नदी सरस्वती नदी का उल्लेख है। अब वैज्ञानिकों ने तय किया है कि सरस्वती नदी उसी समय सूख गई थी और उसके बाद वहां के लोग गंगा नदी के मैदानी इलाक़ों में रहने के लिए आ गए। वेदों के दूसरे भाग साम संहिता में धुनों की मदद से मंत्र गाए जाते थे। वेदों का तीसरा भाग यजुर संहिता था। यजुर संहिता और उससे जुड़े ब्राह्मण संग्रह में यज्ञ के अनुष्ठान में